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Tuesday 8 May 2012

बैंड बाजा बारात



बैंड बाजा बारात

हमारे आगरा में क्या-क्या फेमस है..? अब आप छूटते ही कहेंगे, ताजमहल...अरे जनाब ये तो शहर का बच्चा-बच्चा भी जानता है....अब आप कहेंगे...जूता...या पेठा...या फिर दालमोंठ...और हां, मेंटल हॉस्पिटल...। लेकिन आज हम बात इन सब चीजों से अलग कर रहे हैं। आज हम आपको आगरा के बैंड बाजों और बारात के बारे में बताने जा रहे हैं। आपने यह जुमला तो सुना होगा कि आगरा जैसी दावत और आगरा जैसी बारात पूरे हिंदुस्तान में कहीं नहीं। तो चलिए, आज संडे का दिन है आप फ्री होंगे, साथ ही मस्ती के मूड में होंगे। हमारे साथ बन जाइए बाराती और मजा लीजिए बैंड बाजों के बदलते ट्रेंड का।

प्रीति शर्मा 
भई, शादी की शोभा बारात के बिना नहीं है और बारात की शोभा तब तक नहीं है जब तक ऐसा बैंड न हो जिसे सुनते ही बाराती खुद-ब-खुद डांस करने पर मजबूर न हो जाएं...। एक जमाना था जब बैंड वालों का काम सिर्फ बैंड बजाना हुआ करता था ताकि जब बारात चढ़े तो बाजों की गूंज से अड़ोसी-पड़ोसी गलियों में यह बात पहुंच जाए कि भई, फलाने की शादी बहुत धूम धड़ाके से हो रही है। लेकिन, अब वक्त बहुत आगे पहुंच गया है। वर्तमान में बैंड बाजे वाले सिर्फ बारात का हिस्सा नहीं रह गए बल्कि बारात का मैनेजमेंट करने लगे हैं। अपनी बात को भव्य रूप कैसे दिया जाए, यह बात सोचना आप छोड़ दीजिए क्योंकि अब बैंडवालों ने यह जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली है। आपकी बारात में घोड़े शामिल होंगे या ऊंट, आप बारातियों पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाना चाहते हैं या तोप से फूलों का ब्लास्ट करना चाहते हैं..सारा अरेंजमेंट बैंड वाले कर देंगे। आपको तो बस पैसा फेंकना है और तमाशा देखना है।
शहर में अगर बारात में बैंड बाजों के इतिहास पर नजर डालें तो बीते पचास-साठ साल से बैंड को सक्रिय रूप से बारात में शामिल किया जा रहा है। इससे पहले बारात को लेकर लोगों में ज्यादा क्रेज नहीं हुआ करता था। सादा ढंग से ही बारात निकला करती थीं। यूं तो शहर में सबसे पहला बैंड 1931 में बाबूलाल शर्मा ने शर्मा बैंड के नाम से शुरू किया था लेकिन यह कुछ समय बाद ही बंद हो गया। तब दल में 11 लोग शामिल हुआ करते थे और उन्हें एक रुपये तनख्वाह दी जाती थी। उसके बाद 1960 में मिलन बैंड ने दस्तक दी। उन दिनों बारातों में नाचने का रिवाज नहीं था। अत: इस बैंड ने अपने कुछ ऐसे बैंडवाले तैयार किए जो स्पेशल धुनों पर बारात के साथ नाचते थे ताकि इन बैंडवालों को नाचता देख अन्य बारातियों में भी उत्साह का संचार हो और वे भी जमकर झूमें। यह ट्रिक कमाल कर गई और लोगों ने बारातों में नाचना शुरू कर दिया। उस दौर में  बैंड वालों को अपनी शादी में बुलाना शान समझा जाता था। जो बारात बैंड बाजे के साथ दुल्हन के दरवाजे पर पहुंचती थी, उसकी बात ही निराली होती थी। दूर-दूर तक यह बात पहुंच जाती थी कि फलाने की शादी में बैंड बजा था।
शहर में उगते बैंड कल्चर के चलते 1980 में एक और बैंड अपने नए रूप-रंग के साथ सामने आया। यह बैंड था सुधीर बैंड। इस बैंड के माध्यम से शर्मा बैंड को ही पुर्नजीवित किया गया था। बाबूलाल शर्मा के बेटे सुधीर ने इसकी शुरुआत की थी। सुधीर बैंड के अमित शर्मा बताते हैं कि तब लोगों में बारात को लेकर शो बाजी नहीं थी अत: बैंड वाले भी इतने अधिक ट्रेंड नहीं हुआ करते थे। लेकिन, जबसे बारात ‘शादी का सबसे खास’ हिस्सा बनती जा रही है, तबसे बैंड बाजे वालों को भी बदलते रंग में खुद को ढालना पड़ रहा है। यही कारण है कि इन दिनों बारात की सजावट की जिम्मेदारी बैंडवालों ने उठानी शुरू कर दी।
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बारातियों से ज्यादा बैंडवालों की संख्या
जी हां,  अगर आप अपने लाड़ले की शादी में बैंड बाजों की धूम देखना चाहते हैं तो आपकी सेवा में 150 लोगों का बैंड हाजिर हो जाएगा। यानि जितने बाराती होंगे उतने ही तकरीबन बैंड वाले होंगे। बंटी और बबली फिल्म में अपने बैंड का जलवा दिखा चुके मिलन बैंड के भरत शर्मा बताते किसी भी अच्छी बारात में जितने बाराती होते हैं उतने ही करीब बैंडवालों की टीम होती है। बारात चढ़ते समय 500 मीटर तक बैंडवाले ही दिखाई देते हैं। यह लोगों की डिमांड पर निर्भर करता है कि उन्हें बारात में किस तरह की सर्विस। कोई ढोल वाले की डिमांड करता है तो कोई पाइप वाले कलाकारों की। यही कारण है कि इन दिनों बारातों में 80-120 बैंडवालों की टीम आम बात हो गई है।

जैसा देश, वैसी बारात
अब तक आपने जैसा देश वैसा भेष वाली कहावत तो सुनी होगी लेकिन इसी तर्ज पर आजकल ‘जैसा देश वैसी बारात’का चलन निकल पड़ा है। आप अगर पंजाबी हैं तो बारात में आपके लिए पंजाबी कलाकारों का इंतजाम हो जाएगा, अगर राजस्थानी फैमिली को बिलॉंग करते हैं तो सिर पर मटकी रखकर नृत्य करने वाली महिलाओं का ग्रुप आपकी बारात में शामिल कर दिया जाएगा। गुजराती से लेकर मारवाड़ी तक, हर प्रांत के कलाकार आप अपनी बारात में बुला सकते हैं....लेकिन इसके लिए आपको अपनी जेब ढीली करनी पड़ेगी। भरत बताते हैं कि आमतौर पर बैंड की टीम में सबसे पहले शहनाई चलती है, उसके बाद ढोल वाले। फिर भांगड़ा करने वाले कलाकार होते हैं...उनके पीछे पाइप बैंड के कलाकार चलते हैं। उनके पीछे दरबान होते हैं, घोड़े पर पुलिस फिर फोक डांस करने वाले कलाकार तथा अंत में बाराती होते हैं। इन कालाकारों को बारात में शामिल करने से एकतरफ जहां बारात में भव्यता बढ़ जाती है वहीं बारातियों का भी मनोरंजन होता रहता है। कई बार बाराती डांस एंजॉय तो करना चाहते हैं, लेकिन खुद डांस नहीं करते। ऐसे बारातियों का एंटरटेनमेंट ये कलाकार ही करते हैं। अगर आप बारात को और ज्यादा भव्य बनाना चाहते हैं तो इन दिनों मशाले जलाने का ट्रेंड भी दिखाई पड़ रहा है।


फूलों के ट्रेन में रवाना होती है बारात
जब दुल्हन रानी फूलों से सजी पालकी में बैठकर सजन घर आ सकती हैं तो दूल्हे राजा फूलों की ट्रेन में सवार होकर दुल्हन को लेने क्यों नहीं जा सकते?....तो लीजिए दूल्हे राजा आप अकेले ही क्यों, आपके मम्मी-पापा और सारे रिश्तेदारों के लिए फूलों की ट्रेन हाजिर है। इन दिनों बारातियों के लिए बैंड वालों द्वारा फूलों की ट्रेन का विशेष इंतजाम किया जा रहा है। 14 फुट लंबी और 14 फुट चौड़ी यह ट्रेन फूलों का गैलरीनुमा कवर्ड जाल होता है, जिसके भीतर से न कोई व्यक्ति बाहर निकल सकता है और न ही बाहर का व्यक्ति अंदर आ सकता है। अब चूंकि शहर के ट्रैफिक के तो आप भलीभांति परिचित है। उस पर अगर रोड पर बारात निकल जाए तो समझिए 20-25 मिनट गए काम से...। इसी समस्या से निजात पाने के लिए फूलों की ट्रेन का अविष्कार किया गया है। ताकि बाराती पूरी सड़क घेरने के बजाय ट्रेन के भीतर ही डांस करें।

हेलीकॉप्टर से बरसते हैं फूल
बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है गीत अगर आज के दौर की बारातों के हिसाब से लिखा जाता तो गीत कुछ यूं होता, ‘हेलीकॉप्टर फूल बरसाओ मेरी बारात निकली है...’जी हां, अब फूल बरसाने का जिम्मा हेलीकॉप्टर का हो गया है। बारात के दौरान बीच-बीच में हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने का जिम्मा भी अब बैंडवालों की टीम ने ले लिया है। यह हेलीकॉप्टर रिमोट से संचालित होता है। इसके अलावा तोप से फूलों का ब्लास्ट भी बारातों में देखा जा रहा है।

घोड़ी, रथ  और ओपन कार
यूं तो परंपरानुसार दूल्हे राजा घोड़ी पर बैठकर ही दुल्हन के दरवाजे पर पहुंचते हैं लेकिन अब घोड़ी की जगह रथ ने ली है। इस रथ में दो घोड़े होते हैं। कई बार दूल्हे को घोड़ी पर अथवा रथ पर बैठने में अजीब लगता है, ऐसे में वे ओपन कार की डिमांड करते हैं। वर्तमान में ओपन कार भी शहर के कुछ बड़े बैंड वालों द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है।

लाखों रुपये की बारातें 
जितने रुपये में किसी मध्यमवर्गीय परिवार की लड़की की शादी संपन्न हो जाएगी, उतने रुपये बड़े घर की शादियों में सिर्फ बारातों पर खर्च किए जा रहे हैं। यूं तो शहर में ऐसी-ऐसी बारातें चढ़ी हैं जिनमें दो घंटे की बारात की शान के लिए रुपया पानी की तरह बहाया गया है, उनका जिक्र अगर छोड़ दिया जाए तब भी एक से दो लाख रुपये बारात का खर्चा आम बात हो गई है। आतिशबाजी, बारात के कलाकार, फूलों की सजावट, बग्गी, गुलाबबाड़, दरबान, घोड़े, ऊंट आदि के अलावा वर पक्ष के लोगों की डिमांड पर और भी खास इंतजाम किए जाते हैं।
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आज भी दीवाना बना रहे हैं ये गीत
- ये देश है वीर जवानों का 
- बहारों फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है
- टकीला
- आज मेरे यार की शादी है
- ले जाएंगे, ले जाएंगे दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे
- दौर के हिसाब से फिल्मों के आयटम सॉंग्स
- विदाई के समय बाबुल की दुआएं लेती जा
- खुशी-खुशी कर दो विदा तुम्हारी बेटी राज करेगी

बॉलीवुड में बज रहा डंका
हमारे शहर के बैंडों का डंका बॉलीवुड में भी बज चुका है। बंटी और बबली फिल्म में जहां मिलन बैंड ने जमकर धमाल मचाया था वहीं मेरे ब्रदर की दुल्हन फिल्म में सुधीर बैंड का जलवा देखने को मिला। इतना ही नहीं मिलन बैंड दुबई में आयोजित होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय महोत्सव में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुका है। इस बैंड ने दिल्ली के जिया बैंड को टक्कर दी थी।